Wednesday 8 April 2020

कोविड-19 लॉक डाउन के दो सप्ताह

नमस्ते मित्रों, 
आज भारत में लॉक डाउन के दो सप्ताह पूरे  हो गए! अब तक देश में करीब 5000 लोग कोविड-19 की  चपेट में आ चुके हैं. बहुत से अति-विकसित  देशों की तुलना में हमारी स्थिति काफी बेहतर लगती है. हालांकि यह भी सही है कि कई कारणों के चलते हमारे यहाँ मरीज़ों की संख्या का सटीक आकलन थोड़ा मुश्किल है. अब तक जिस प्रकार इस महामारी के फैलाव को रोकने का प्रयास किया गया है वह अद्भुत एवं प्रशंसनीय है। यह लॉक  डाउन को सख्ती से लागू करने का ही परिणाम है. इस के लिए हमारा राष्ट्रीय व प्रांतीय नेतृत्व, पुलिस, प्रशासन, डाक्टर, चिकित्सा कर्मी तथा स्वयंसेवक साधुवाद के पात्र हैं। 

यदि हम में से कुछ लोगों ने समझदारी दिखाई होती और प्रशासन से सहयोग  किया होता, तो आज रोगियों की संख्या और भी कम होती.  ऐसा लगता है कि जनमानस में यह भ्रान्ति समाई हुई है कि इस विपदा से लड़ने की जिम्मेदारी केवल प्रशासन की है. कोरोना वाइरस से बचने के लिए ज़रूरी सावधानियां बरतने  में जो भी लापरवाही सामने आई हैं वह हम नागरिकों द्वारा ही की गयी हैं जबकि शासन ने इसे रोकने के लिए दिन रात एक कर रखे हैं. जिस समय  देश इस वैश्विक महामारी की गंभीरता को समझ कर निरोधात्मक कदम उठा रहा था तब कोई विशाल धार्मिक समागम आयोजित कर रहा  था तो कोई किसी सेलेब्रिटी द्वारा आयोजित जश्न में शामिल हो रहा था. ऐसे भी मामले सामने आ रहे हैं जब लोग रोग के प्रारंभिक लक्षणों को छुपाते हैं और बड़ी संख्या में लोगों को संक्रमित कर देते हैं. क्वारंटाइन तथा कर्फ्यू का उल्लंघन तो आम है. बहुत से लोग मास्क लगाने, दस्ताने पहनने तथा दूरी बना के रखने के प्रति भी लापरवाह नज़र आते हैं. 

अभी हाल ही में मैं एक प्रतिष्ठित रिटेल ब्रांड के डिपार्टमेंटल स्टोर से आवश्यक वस्तुएं खरीदने गया तो वहां का नज़ारा देख कर स्तब्ध रह गया. मैंने किसी को भी दस्ताने पहने नहीं देखा तथा जिन्होंने मास्क पहन भी रखे थे तो वे ढीले और मात्र ऐसी रस्म अदायगी करते नज़र आ रहे थे जैसे कि  हम हेलमेट पहनने में करते हैं. लोग शेल्फ्स के बीच एक दूसरे से सट कर निकल रहे थे और बिलिंग काउंटर पर भी सब हुजूम बना कर खड़े थे. मेरे आपत्ति करने पर भी उनमें कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई.  हम शायद हर चीज़ को एक टोटके की तरह करना पसंद करते हैं जैसे मास्क देख कर ही वाइरस भाग जाएगा चाहे आप उसे दरवाज़े पर टांग कर रखें। प्रधानमंत्रीजी ने जनता कर्फ्यू के दिन उन लोगों को सम्मान देने की अपील की थी जो हमारे लिए इस महामारी से लड़ रहे हैं तो लोग ढोल मजीरे ले कर सड़कों पर  आ गए। जब उन्होंने लाइटें  बंद करने व दीप  जला कर इस विपत्ति के विरुद्ध एकता दिखाने की बात की  तो हम पटाखे चलाने लगे दीपमालाएँ  सजाने लगे. संकटापन्न मानवता के साथ एकजुटता दिखाने का यह कौनसा तरीका था? 

और उन  मालिकों का क्या जिन्होंने सुदूर प्रांतों से रोज़ी रोटी के पीछे आए गरीब मज़दूरों को अपने हाल पर छोड़ दिया? श्रमिकों के इस महापलायन से देश भर में महामारी फैलने का खतरा और बढ़ गया. यह सही है की सरकारें लॉक डाउन के समय इस पलायन का अनुमान नहीं लगा सकीं। लेकिन मैं मानता हूँ कि देश में दिहाड़ी मज़दूरों के कल्याण के लिए ऐसे कानून अवश्य होंगे जो ठेकेदारों व नियोजकों की भी जिम्मेदारी तय करते हों.  मेरी इस क्षेत्र में जानकारी अपर्याप्त है, कोई मित्र इस पर प्रकाश डाल  सके तो टिप्पणी  अवश्य करे.  

हमारे रवैये से लगता है कि  सब इस मुगालते मैं जी रहे हैं कि  हमें इस संकट से जल्द मुक्ति मिल जाएगी. यह लड़ाई लम्बी और कठिन है. इसमें गलती की गुंजाइश नहीं है और कीमत भारी  है.  यदि हमने महामारी को रोक भी लिया, तो वह कब कहाँ दुबारा सर उठाएगी और कितनी ताक़त के साथ? कहना मुश्किल है. लम्बे लॉक डाउन के दूरगामी दुष्प्रभाव होंगे.  इसके आर्थिक और मनोवैज्ञानिक प्रभावों का आकलन करना भी असंभव है. इससे विश्व को उबरने के लिए प्रत्येक नागरिक की प्रबल इच्छा शक्ति और अडिग संकल्प की आवश्यकता पड़ेगी। जिस प्रकार यह प्रोटीन का सूक्ष्म कण देश, जाति, धर्म, रंग व नस्ल का भेद किये बिना सबको अपना निशाना बनाता है उसी प्रकार हम सबको  अपने सब विभेद और मतान्तर भूल कर इससे लड़ना होगा.  

यह स्पष्ट है कि  कोरोना वायरस की संक्रामकता लम्बे समय तक स्थिति सामान्य नहीं होने देगी तथा हमें न जाने कब तक बंधनों व सावधानियों के घेरे में रहना होगा। परन्तु मुझे विश्वास है कि यदि सर्वजन संकल्प कर लें तो अंत में  विजय हमारी होगी. मैं बशीर बद्र साहब की दो पंक्तियों के साथ अपनी बात ख़त्म करना चाहूंगा-

                                           "कोई हाथ भी न मिलाएगा जो गले मिलोगे तपाक से 
                                            ये नए मिजाज़ का शहर है ज़रा फासले से मिला करो "

जय हिन्द !🙏





Saturday 15 September 2012

Wat Pho - Temple of the Reclining Buddha, Bangkok, Thailand.


The beautiful temple of the Reclining Buddha called 'Wat Pho' is situated adjacent to the Grand Palace complex in the Phra Nakhon district of Bangkok, Thailand. The Temple houses a majestic 160 feet long statue of the reclining Buddha encased in gold. It stands at the site of a much older temple in monastery and was constructed by King Rama I of Thailand in 1788.(?) It is probably the oldest and the largest of all the temples in the Thai Capital. 
The temple compound contains various stupas, shrines, Buddha idols and several giant Chinese sculptures. Apart from these, the walls of most of the shrines are adorned with exquisite wall paintings depicting the life and teachings of the Buddha and events from the lives of the Thai Royalty. 












Wednesday 18 July 2012

Bangkok - Grand Palace Complex and the Emerald Buddha

Awe Inspiring Grandeur

The Grand Palace Complex of Bangkok (Phra Borom Maha Ratcha Wang) was the official residence of the monarchs of Thailand for a century and half. The construction of the Grand Palace was begun by King Rama I, founder of the Chakri dynasty in the the late 18th century and it continued to house the royals till 1932. The Complex is situated on the banks of the river Chao Phraya in the Phra Nakhong district of Bangkok. Apart from  Royal residences and offices the complex also houses the famous Temple of the Emerald Buddha (Wat Phra Kaew). The complex is an example of the awe inspiring grandeur of Indo-Oriental art, sculpture and architecture. The eclecticism of Siamese culture is evident not only in the strong Hindu, Buddhist and Chinese influences in the art and architecture but also in the scores of Ming Chinese idols, Borobudur Buddhas, scenes from the Ramayana and the replica of the Angkor Wat adorning the courtyards of the complex. Most of the temples and some other buildings are open to tourists and no visit to Thailand can be complete without a trip to the Grand Palace Complex.

Grand Palace Complex
Tourists in the courtyard in the Complex

Golden Pagoda


Mythological figures stand guard at one of the numerous shrines.

Another view of the temple guardians...

Frieze at the temple of the Emerald Buddha.

Tiled and decorated roof of the main temple.

A Buddha idol from Borobudur.

One of the several bell towers.

A view of the courtyard

Replica of Angkor Wat in the foreground.

Another pair of 'guards' at one of entrances.


The main entrance of the Mini Angkor Wat.

A smaller shrines which also houses a library.



Another frieze depicting monkey gods and demons holding up the temple.

An exquisite specimen of Indo-Oriental sculpture.

The main temple and sub shrines.

A view of the courtyard.


Ornate frieze in the perambulation gallery of the shrine.

A view of the corner...

The perambulation gallery.

View of the Golden Pagoda from the


The idol of the Emerald Buddha in the sanctum sanctorum



A view of other idols and murals inside the
 sanctum sanctorum.

A mural probably depicting a scene from the Ramayana.

An interpretation of the Grand Palace.

Another interpretation of the Grand Palace.

A view of the courtyard with the Golden Pagoda
in the background.

A live Palace Guard for a change.

A Ming Chinese Idol.

The Royal Quarters, the Buckingham of Bangkok. (Chakri Maha Prasat)

Phra Thinang Dusit Maha Prasat.

A pavillion in middle courtyard of the complex.

Road outside the Grand Palace Complex.

Sunday 8 July 2012

Bangkok- Chao Phraya River Cruise - May 2011



An evening cruise on the river Chao Phraya is one of the most popular excursions for tourists in Bangkok. The cool evening breeze, live bands, great food, a festive air and the stunning vistas of Bangkok make it a memorable experience, an absolute 'must see'. The cruise is best taken after sunset. The illumination of the major landmarks is breath taking and as I hinted above the weather is very pleasant.


A typical Thai styled cruise boat






A view of the Millennium Hilton, Bangkok. (Extreme Left)

 Cruise boat with the hotel
 Baan Chhao Phraya in the background

Another view of the Millennium Hilton.













Man walking past ornate gateway of floating restaurant.

Holy Rosary Church

A view of the Deck.

Government Building


Memorial near the Rama VIII Bridge

Rama VIII bridge

Wat Arun, temple of the sun.

White Stupa

White Stupa and the Santa Cruz Church

Memorial at Fort Vichai Prasit
A cruise boat with an ethnic Thai look

Wide shot of Wat Kanlyanamit

Wat Rakhang
The Grand Palace and Emerald  Buddha Complex
Fort Vichai Prasit.



Santa Cruz Church

Wat Kanlyanamit from up close

One of the numerous bridges on the river...